आज दुख के साथ कह सकते हैं कि कुछ हद तक हमारा संविधान भी ? आज दुख के साथ कह सकते हैं कि कुछ हद तक हमारा संविधान भी ?
बड़ी चिंतित है, पीढ़ी हमारी। खाए जात है, बेरोजगारी।। बड़ी चिंतित है, पीढ़ी हमारी। खाए जात है, बेरोजगारी।।
पढ़ लिख कर कोई पद नहीं पाते , दफ्तर में रिश्वतखोरी है पढ़ लिख कर कोई पद नहीं पाते , दफ्तर में रिश्वतखोरी है
सोच बदले युवा तो देश बदल सकता है। सोच बदले युवा तो देश बदल सकता है।
सहना नहीं अब हमें, विरोध करना है, आगे बढ़ते रहना है। सहना नहीं अब हमें, विरोध करना है, आगे बढ़ते रहना है।
जहाँ सुरक्षित नारी हो ख़ुशियों की फुलवारी हो वो वसन्त कब आएगा जहाँ सुरक्षित नारी हो ख़ुशियों की फुलवारी हो वो वसन्त कब आएगा